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#amankapaigham #avinash vachaspati 2020 alwida २७ रजब 72 हूर 72 hoor अंजना (गुडिया) अंधविश्वासी अख्तर खान अकेला अजय कुमार झा अजादारी अनवर जमाल अनैतिक अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस अपर्णा त्रिपाठी "पलाश" अमन और शांति अमन का पैगाम अमित शर्मा अयातुल्लाह सीस्तानी अरुण चन्द्र रॉय अलबेला खत्री अश्लीलता असंतुलन अहलिबैत अलैहिमुस्सलाम आंतिरक इच्छाओं इंसान इंसानियत इमाम अली (अ.स) इमाम हुसैन इस्मत जैदी इस्लाम ई रिक्शा ईस्लाम छोडो आज़ादी कि राह मदद का वादा एस एम् मासूम एस.एम.मासूम एहसान फरामोशी ऑनर किलिंग ओबामा ओल्ड कट्टरवादी कर्बला कविओं कविता कश्मीरी चाय काबा और कर्बला कुरान कुरीतियों कुसुमेश केवल राम कोरोना कौटुम्बिक व्यभिचार खुशदीप सहगल गाँधी गिरिजेश कुमार गुलाब चाय का मज़ा जागरूकता जिन्न जिहाद जौनपुर डा. रूपचन्द्र शाश्त्री “मयंक” डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट डॉ टी एस दराल तारकेश्वर गिरी तीन तलाक़ दरिंदगी दानिश" भारती दीप पाण्डेय (विचार शून्य) देश भक्ति दोषारोपण दोहरे चरित्र धर्म और राजनीति धर्मदर्शन धर्मपत्नी धार्मिक नरेन्द्र मोदी नाईट क्लब निर्मला कपिला पकोड़ा पड़ोसी पत्नी से मित्रता परिवार पवन कुमार मिश्र पश्चिमी सभ्यता पूजा शर्मा पेंशन पेंशन एक इस्लामी मशविरा पॉलिटिक्स पोर्न फतवे फ़ातिमा फेसबुक फ्रांस बडबोले बलात्कार बाप बुराईयों बुर्का बुर्क़े बेअसत बेशर्मी मोर्चा बॉय फ्रेंड ब्रिटेन ब्लॉगजगत ब्लॉगर ब्लोग्गेर्स की दुनिया भारतीय संस्कृति भ्रष्ट भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार अन्धविश्वासो मस्तिष्क महिला अधिकार महिला जगत माँ मानसिक विकृतियों मीनाक्षी पन्त मुंबई मुकेश कुमार सिन्हा मुफज्ज़रनगर मुसलमान मुहर्रम मैं एक मुस्लमान हूँ ? मैथली शरण गुप्त मैराज ज़ैदी यौन आकर्षण यौन हिंसा रचना बजाज रज़िया राज़ रश्मि प्रभा राजनीति राजनीती राजेन्द्र स्वर्णकार रिश्ते नाते रेखा श्रीवास्तव लता हया लविंग जिहाद लालकृष्ण आडवाणी लिव-इन-रिलेशनशिप वंदे मातरम् वंशावली वहम विकास विवाह विवेक रस्तोगी वीणा श्रीवास्तव वेबपोर्टल शक शक या वहम शराब. ब्लू फिल्म शादी या लिवइन रिलेशनशिप शाहनवाज़ सिद्दीकी शिखा वार्ष्णेय शिशु शीराज़ ऐ हिन्द शेयर मार्केट संगीता पुरी संजय भास्कर संपादकीय संस्कार सतीश सक्सेना सदाचार समलैंगिक समस्याएं समाज समाज के दो चेहरे समीर लाल ’समीर सहिफा इ सज्जडिया सामाजिक प्राणी सामाजिक भय सामाजिक मुद्दे साम्‍प्रदायि‍क सद् भाव सास ससुर सिविल डिसओबिडियेन्स सेक्स सेक्स एजुकेशन सोशल मीडिया स्वस्थतम की उत्तरजीविता हज़रत अली हरकीरत हीर हरदीप राणा जी हिंदी ब्लॉग जगत हिजाब हिन्दू aman amankapaigham arvind vidrohi Asia asl islam blog blog jagat blogger bloggers bold Civil disobedience culture current affairs Death Dipawali Diwali dosti dua e richshaw Editorial facebook fathers day featured festival festivals Hadith headline Hindi Hindu history HIV/AIDS http://blogsinmedia.com India jihad jinn karonda Kashi naresh love marriage Lungs cancer Maharashtra mahila jagat Mantra media marketting Mumbai naturopathy Opposing Views parents peace message photo politics porn portfolio power Game Race chart Religion and Spirituality rizq rose s.m.masoom S.M.MASUM samaj satish kaushik shajra shajra sadat Shirdi slut march social issues social media society sport suroor fatima talents tea time Teachings The News International tiger woods vandana gupta Varanasi whatsapp wikileaks women issues world world issues yoga zeeshan zaidi

ब्लॉगजगत मैं कैसे बीता एक साल ,नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ|

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साथियों देखते ही देखते पुराना वर्ष चला  गया और  नया वर्ष नयी  उमंगों और आशाओं को साथ लिए आ गया । इस नए वर्ष का स्वागत  मैं गए वर्ष के कुछ ...

साथियों देखते ही देखते पुराना वर्ष चला  गया और  नया वर्ष नयी  उमंगों और आशाओं को साथ लिए आ गया । इस नए वर्ष का स्वागत  मैं गए वर्ष के कुछ  हसीन पलों को  याद करते हुए और अपनी ग़लतियों से नसीहतें लेते हुए करना चाहूँगा.. 
 
nayasaal
आनेवाला वर्ष “अमन का पैग़ाम” के लिए अपने शुभचिंतकों की दुआओं से ,अवश्य सफलताओं का नया इतिहास लिखने वाला होगा , ऐसी उम्मीद के साथ  विश्व को सभी प्रकार कि सामाजिक तथा परिवारीक हिसा से मुक्त करवाने की कोशिश  करने का दृढ संकल्प लेते हुए अपने  चिटठे के पाठकों और समस्त ब्लॉगर साथियों को “अमन का पैग़ाम” की तरफ से  नव वर्ष  की बधाई एवं  हार्दिक शुभकामनाएं. नववर्ष आपके लिए मंगलमय हो और आपके जीवन में सुख सम्रद्धि आये. ………एस .एम् .मासूम 


ब्लोगर चर्चा: ब्लॉगजगत मैं कैसे बीता एक साल

Sitare
गत वर्ष मई के महीने मैं "अमन का पैग़ाम" की शुरूआत  हुई. मुझे अंग्रेजी ब्लॉगजगत से हिंदी ब्लॉगजगत पे लाने का श्रेय इस्मत जैदी साहिबा को जाता है. शुरू के कुछ दिन मुश्किलों के दिन थे. लोगों के सामने अपनी बात को लाना और अपनी पहचान बनाना बहुत आसान काम नहीं था. अभी दो महीने नहीं गुज़रे थे की मेरी माता जी का देहांत हो गया, जिसके कारण मैं एक  महीने ब्लॉगजगत से दूर रहा और जब आया तब भी मुझे कुछ ख़ास लिखने का मन नहीं किया करता था. 
धीरे धीरे फिर से लिखना शुरू किया, लोगों ने नाम से पहचानना शुरू कर दिया था. मुझ जैसा खुशकिस्मत शायद ही कोई होगा जिसपे ब्लोगर ने बहुत जल्द विश्वास किया ,सराहा और सहयोग दिया. और मैंने भी उनके विश्वास को काएम रखने की पूरी तरह सफल रहा .


 

मैंने मौत को करीब से देखा है और आज कुछ दोस्तों के नाम दोस्ती, एक खूबसूरत रिश्ता लेखों के साथ एक बार फिर से मैं सभी ब्लोगेर्स के साथ खड़ा हो गया.


जिस समय मैंने ब्लॉगजगत मैं क़दम रखा सही समय नहीं था, उसी समय एक बड़ा धर्म युद्ध ब्लोगर के बीच अपने अंतिम चरण पे था, जिस से मैं अनजान था. कुछ  ब्लोगर भाइयों ने मुझे भी उसी युद्ध की एक कड़ी के रूप मैं देखना  शुरू कर दिया. इसका कारण भी केवल वही  “ दूध का जला छास भी फूक के पीता है “ वाली कहावत के सिवाए कुछ नहीं था. आज भी कभी कभी लोग मेरा नाम , बहुत से पुराने ब्लोगेर्स के साथ जोड़ दिया करते हैं. जबकि सत्य यह है ब्लोगिंग से तो मैं अनजान नहीं था लेकिन हिंदी ब्लॉगजगत से मैं एक दम अनजान सा , सीखने की कोशिश कर रहा था. लोगों को समझने की कोशिश कर रहा था...और आज भी यही कर रहा हूँ..


ब्लोगवाणी बंद हो चुकी थी चिट्ठाजगत और हमारीवाणी के सिवाए कोई सहारा अपनी पोस्ट लोगों तक पहुँचाने का हम जैसे हिंदी ब्लॉगजगत के नए खिलाडी के पास नहीं था. नया होने के कारण यदि कभी किसी के इ मेल पे अपनी पोस्ट की खबर दे दो तो वो  ऐसे आंखें लाल कर लेता था जैसे पोस्ट की लिंक नहीं डेंगू का वाइरस भेज दिया है.

 
इस दौरान बहुत से नए मित्र बने और  बहुत से मेरे इन्साफ और हक की बात करने के  कारण मित्र बन के दूर चले गए. लेकिन जल्द ही लोगों को सत्य समझ मैं आने लगा, विश्वास बढ़ने लगा  और फिर शुरू हुआ "अमन का पैग़ाम”  का कभी ना रुकने वाला "अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें " का एक कामयाब सिलसिला.

 
मुझे ऐसा महसूस हुआ की कुछ ब्लोगेर्स के बीच एक अनजाना सा खिंचाव और दूरी सी पैदा हो गयी  है, धर्म के मुद्दे पे बहस के कारण और ऐसे मैं मैंने यह कोशिश की, धर्म युद्ध की कडवाहट को दूर करता हुआ, सभी ब्लोगर  को साथ ले के चलूँ. मेरी खुश किस्मती के मेरे इस "अमन के पैग़ाम "से सभी जुड़ गए और अब तो उनके दिल भी एक दूसरे के लिए साफ़ होते नज़र आ रहे हैं. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पुरानी बातों को बार बार सामने ला के यह कोशिश लगातार कर रहे हैं की वोह दूरियां कम ना हो पाएं. मैं ऐसे ब्लोगर से निवेदन करता हूँ की दो दिलों की नफरतों को और ना बढाएं और सभी ब्लोगेर्स से निवेदन करता हूँ की इस नए वर्ष मैं पुरानी कडवाहट को भूल एक दूसरे को गले लगाएं. 



इसी बीच मैंने बेज़बान नाम से एक ब्लॉग शुरू क्या जिसमें अधिकतर तस्वीरों के ज़रिये बिना कुछ कहे शांति सन्देश देने लगा, यह तजुर्बा बहुत कामयाब ना हो सका तो उस बेज़बान को अब ज़बान  दे दी.
ब्लॉगजगत मैं अचानक धर्म के नाम पे नफरत वाली पोस्ट की किनती मैं गिरावट आनी शुरू हो गयी  , जिसका श्रेय मैं अमन के पैग़ाम से  लेख़ और कविता भेजने वाले सहयोगिओं को देता हूँ.  हाँ अफ़सोस इस बात का रहा की जब कुछ ब्लोगेर्स ने सामाजिक विषयों पे कविता और लेख़ लिखे तो वहां कोई उनपे टिप्पणी करने नहीं गया जबकि उन्ही ब्लोगर्स की धार्मिक पोस्ट पे ८०-१०० टिप्पणी  एक  आम सी बात हुआ करती  थी. 
अमन के पैग़ाम का उसूल " नफरत बुराईयों से करें  न की किसी व्यक्ति विशेष से” , भी  कुछ लोगों को पसंद नहीं आया. इसी कारणवश मैंने अपने ब्लॉग मैं लिखना शुरू किया :यह ना देखो कौन कह रहा है यह देखो की क्या कह रहा है. और इसके साथ "अजब ब्लॉग जगत की गजब कहानी " के नाम से भी पोस्ट भेजनी शुरू कर दी, जिसका मकसद केवल सभी ब्लोगर भाइयों को साथ लाना और नए ब्लोगेर्स का मार्ग दर्शन करना था.  



मुझे अपने एक लेख़ मैं यह भी लिखना पड़ा की " हम जब किसी से भी मिलते हैं, बात करते हैं, किसी के ब्लॉग पे जाते हैं, उसको पढ़ते हैं तो हम बहुत कम ऐसा सोंचते हैं की हम अपने जैसे किसी  ही इंसान से मिल रहे हैं. हम  जब भी मिले किसी से तो कोई सामाजिक रिश्ता ले के मिले. कभी हिन्दू मुसलमान ,सिख या ईसाई से मिले, कभी अपने दोस्त, दुश्मन या  रिश्तेदार से मिले, कभी ग़रीब से मिले तो कभी अमीर से मिले.  इन रिश्तों मैं कभी  नफरत का, कभी  प्रेम का ,कभी  पक्षपात का , या कभी अहंकारी का एहसास स्वम ही पैदा हो जाता है. ऐसे  मैं इमानदार इंसान कहीं खो जाया करता है.”
"अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें "पे सभी ब्लोगर्स से  मैंने अनुरोध किया की वो भी समाज मैं अमन और शांति के विषय पे  कुछ कहें जिसमें  मुझे आशा से अधिक सहयोग मिला. ब्लोगेर्स ने आगे बढ़ बढ़ के अपना कीमती समय दे के , लेख़ और कविताएँ भेजीं जो अब तक पेश की जा रही हैं. इसमें सतीश सक्सेना जी के सहयोग का ज़िक्र  यदि  ना किया जाए तो यह उनके साथ ना इंसाफी होगी. सतीश जी ने आगे बढ़ के मुझसे कहा की मैं कुछ पुराने ब्लोगर्स  से भी लेख़ भेजने को कहूँ. उनके सुझाए नाम पे मैंने इ मेल भेज दिए. यह और बात है की कामयाबी किन्ही कारणों से इसमें ना मिल सकी लेकिन आशा है जल्द ही उनका सहयोग भी मिलने लगेगा.






 रज़िया राज़ जी की जितनी तारीफ की जाए कम है , क्यों की इनका लेख़ सबसे पहले आया , जब की यह हज  करने के लिए मक्का गयी हुई थीं इन्होने वहां से हमारे वतन में सदा ही भाईचारा-शान्ति बनी रहे दुआ करते हुए लेख़ भेज दिया, जिसके लिए मैं हमेशा उनका शुक्रगुजार रहूँगा. 


और इस दुआ पे पहली टिप्पणी देते हुए उत्साह बढाया  निर्मला कपिला जी ने और जल्द ही एक कविता भी भेज दी .
अर्चना चाओजी की तारीफ जितनी की जाए कम है की उन्होंने स्वम ही मेरे ब्लॉग पे पेश किये हुए लेख़ और कविताओं को आवाज़ देने शुरू करदी और  उनका यह तजुर्बा कामयाब भी रहा क्योंकि उनको सुनने वालों किस संख्या  दिन बदिन बढ़ती ही जा रही है. आप भी यहाँ उनको सुन सकते हैं. ब्लॉगजगत एक परिवार लेकिन सावधानी हटी दुर्घटना घटी और भले लोगों से अत्याचारियों का युद्ध था कर्बला…हमारी ओर से भी श्रद्धांजलि…तो बहुत की कामयाब रहा .


फिर तो यह सिलसिला ऐसा चला की अब तक चलता ही जा रहा है....और अभी भी अनगिनत  रचनाएँ, कविता और लेख़  पेश करने के लिए बाकी हैं. (इनको पढने के लिए तस्वीर पे क्लिक करें )

"अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें "
"अमन का पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें " मैं अब तक के पेश किये हुए महान   ब्लोगर्स से आप भी मिलते चलें...
अमन का पैग़ाम समीर लाल रज़िया राज रश्मि प्रभाAjay Jha       Khushdeep sahgalवीणा श्रीवास्तवsharif khanRekha shrivastava  निर्मला कपिला.सतीश सक्सेनाडॉ  अनवर जमाल डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंकदेवेन्द्र पाण्डेय.शाहनवाज़ सिद्दीकी.राजेन्द्र स्वर्णकार Albela Kharti jeearunकेवल रामअमित शर्माZeeshan Zaidi Untitled - 54तारकेश्वर गिरीपूजा..शर्मापवन कुमार मिश्र संजय भास्कर   अंजना जी (गुडिया2P7030130 shikhavandanaUntitled - 59विवेक रस्तोगीDanish 3Javed badayuni Zeeshan Abidirajkumarshekhchli-face  

जब बात यहाँ तक आ गयी है तो यह बताना भी आवश्यक समझता हूँ की "अमन के पैग़ाम" को किन बातों से नुकसान पहुंचा . सबसे पहला नुकसान मेरे आने के पहले हुए धर्म के नाम पे झगड़ों का  हुआ. लोगों ने मुझे भी उसी की एक कड़ी समझा और शक किया.  ऐसे भी लोग दिखे जिनको यह पसंद या समझ नहीं आया की एक मुसलमान कैसे शांति सन्देश दे सकता है. ऐसे ही जाहिल तबक़े  के कुछ लोगों ने "अमन का पैग़ाम" को धार्मिक रंग देने की भी कोशिश की.. लेकिन समाज मैं अच्छे लोग भी मौजूद हैं जिनके लिए मैं एक उन जैसा इंसान था और "अमन का पैग़ाम " कामयाबी की ओर चलता रहा.




दूसरा नुकसान मुझे इस बात का पहुंचा की मैं इस ब्लॉग जगत मैं किसी ख़ास ब्लोगर समूह से नहीं जुड़ा, और उनको समझने की कोशिश भी नहीं की. इन अंदरूनी गुटबाजी  का नुकसान भी हुआ. जब भी मैंने किसी ब्लोगर की पोस्ट डाली तो उस से नाराज़ रहने वालों या उनके पूरे समूह की टिप्पणी नहीं आयी और कई बार मुझे नाराज़गी के इ -मेल भी  आये . मैंने जवाब मैं यही कहा, यह ना देखो कौन कह रहा है बल्कि यह देखो की क्या कह रह रहा है. लेकिन नफरत की आग मैं जलने वालों को कहां कुछ दिखाए देता है? ऐसी बहुत सी गुटबाजी का नुकसान अक्सर उन ब्लोगर्स को होता है जो अच्छा काम तो कर रहे हैं लेकिन गुटबाजी पसंद नहीं करते. 




इमाम हुसैन (ए.स) ने कहा था" बिना बहुत से लोगों को नाराज़ किये आप कोई अच्छा काम नहीं कर सकते. " इसका यह भी मतलब हुआ की यदि आप से सभी सहमत है तो यकीन कर लें आप ग़लत हैं..

मैंने अपने ब्लॉग के ज़रिये उन ब्लोगर के लेख़ और कविताओं को अधिक अहमियत दी , जो अच्छा लिखते हैं और गुटबाजी की बीमारी से ग्रस्त नहीं  हैं, इसी कारण बहुत अधिक लोग उनतक नहीं पहुँचते.
और सबसे बड़ा नुकसान खुद "अमन का पैग़ाम " देना साबित हुआ .यह अमन शांति की बातें,इंसानियत की बातें, सामाजिक सरोकार जे जुड़ने के मशविरे लोगों को अधिक दिन तक आकर्षित नहीं कर पते , जब की यह मुद्दे हर ब्लोगर सम्मलेन का विषय हुआ करते हैं और लोगों की सहमती के बावजूद ऐसे ब्लोगर और ऐसे पैग़ाम ब्लॉग चर्चा का विषय नहीं बन पाते.




कुछ  ऐसे  भी लोग आये जिन्होंने ने कोई भी पैग़ाम देने से इनकार यह कह के कर दिया की वोह ना तो कोई देवदूत है और ना ही पैग़म्बर. उनका शायद मान ना है की  देवदूतों और पैग़म्बरों ज़ाहिरी की अनुपस्थिति मैं ऐसे किसी पैग़ाम की आवश्यकता नहीं.


मैं उन सभी ब्लोगर का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने इतने दिक्क़तों के बावजूद अमन के पैग़ाम का साथ दिया और इसको आगे लाने मैं सहयोग दिया. ऐसे ब्लोगर साथियों को अमन के पैग़ाम की तरफ से लाखों बार सलाम जिन्होंने,धर्म, जाती, गुटबाजी जैसे बुराईयों से हट के इंसानियत को पहचाना और इस को आगे बढ़ाने मैं सहयोग दिया.


इंसान को नफरत कभी किसी इंसान से नहीं करनी चाहिए  बल्कि उसके अंदर की बुराईयों से करनी चाहिए. इन शब्दों के साथ एक बार फिर से अपने  चिटठे के पाठकों और समस्त ब्लॉगर साथियों को अमन का पैग़ाम की तरफ से  नव वर्ष  2011 की बधाई एवं  हार्दिक शुभकामनाएं.


नववर्ष आपके लिए मंगलमय हो और आपके जीवन में सुख सम्रद्धि आये…एस.एम् .मासूम 
"अमन का पैग़ाम" एक निष्पछ ब्लॉग है और इसका एक धर्म  इंसानियत है.
नाम

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S.M.MAsoom: ब्लॉगजगत मैं कैसे बीता एक साल ,नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ|
ब्लॉगजगत मैं कैसे बीता एक साल ,नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ|
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